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Thursday, 16 July 2020

2 जीव, जीव के प्रकार (जैन गणित)


2 जीव के प्रकार

मुक्त जीव 

जिन जीवों ने अपने घातिया अघातिया कर्मो का नाश कर दिया है। संसार के परिभ्रमण से मुक्त हो गए है, जिनका जन्म मरण अब कभी नही होगा, वे जीव मुक्त है। सिद्ध भगवान मुक्त जीव है, जिन्होंने 8 कर्मों को नष्ट कर दिया है। मुक्त जीवों के कोई भेद नहीं होते है। इनके सभी गुण समान होते है।

संसारी जीव 

जो जीव संसार में परिभ्रमण करते है। संसार से अभिप्राय है परिभ्रमण इसे ही पंच परिवर्तन कहते है। जो जीव समस्त कर्मों से सहित होते है, संसार मे ही सच्चा सुख जानते है, और अनादि काल से इस संसार को अपना मानकर इसी में चतुर्गति परिभ्रमण कर रहा है अर्थात संसार मे बार-बार जन्म-मरण करता है, वह संसारी जीव है।
जैसे- मनुष्य, देव, तिर्यंच, नरक।

संसारी जीव इंद्रियों की अपेक्षा से 5 प्रकार के होते है- एकेन्द्रिय, दोइन्द्रीय, तीन इन्द्रीय, चार इन्द्रिय, पंचेन्द्रिय। जैन ग्रंथो के अनुसार एक इन्द्रिय जीव को स्थावर व शेष चार इन्द्रिय जीवों को त्रस जीव कहा गया है।

इस प्रकार संसारी जीवों के 2 प्रकार होते है- स्थावर और त्रस।

इसके भेद को हम एक चार्ट के माध्यम से समझते है:-




 


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