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Sunday, 19 July 2020

5 इंद्रियां (जैन गणित)


इंद्रियां


इंद्रियां

जो शरीर के चिन्ह आत्मा का ज्ञान कराने में सहायक हैं वे ही इंद्रियां है। 

Note:- जानता तो आत्मा ही है, इंद्रियां तो निमित्त मात्र है।

जो इन्द्र की तरह राज करे उसे इंद्रिय कहते हैं।

जैसे - इन्द्र के सामने किसी की नहीं चलती उसी प्रकार इन इंद्रियों के आगे हमारी भी नहीं चलती, हम इनके निर्देशानुसार पाप कार्यों में प्रवृति करने लगते हैं। 

वर्ना जानते तो सभी है कि पाप नहीं करना चाहिए 

इन्द्रियाँ 5 होती है-

१. स्पर्शन

२. रसना

३. घ्राण

४. चक्षु

५. कर्ण

1. स्पर्शन- जिससे छूने पर, कड़ा- नरम, रूखा- चिकना, ठंडा- गरम, हल्का भारी, आदि का ज्ञान होता है उसे स्पर्शन इन्द्रिय कहते है।

विषय- 8

कड़ा- नरम, रूखा- चिकना, ठंडा- गरम, हल्का भारी। 

2. रसना- जीभ जिससे स्वाद लेने पर मीठा खट्टा, कड़वा, कषायला, चरपरा आदि स्वाद का ज्ञान होता है उसे रसना इन्द्रिय कहते है।

विषय- 5

मीठा-खट्टा, कड़वा, कषायला, चरपरा। 

3. घ्राण- नासिका जिससे सूंघने पर सुगंध-दुर्गंध का ज्ञान होता है उसे घ्राण इन्द्रिय कहते है।

विषय- 2

सुगंध-दुर्गंध।

4. चक्षु- नेत्र जिनसे हमें काला, नीला, सफेद, लाल, पीला इन रंगों का ज्ञान होता है उसे चक्षु इन्द्रिय कहते है।

विषय- 5

काला, नीला, सफेद, लाल, पीला। 

5. कर्ण- कान जिनसे हम सुनते है, उसे कर्ण इन्द्रिय कहते है।

विषय- 7

प्रायोगिक और वैश्रसिक,

ढोलक, वीणा, बांसुरी आदि की ध्वनि को प्रायोगिक कहते हैं।

बादल के गरजने,बिजली कडकने,पत्तों के खडकने, झरनों आदि की ध्वनि को वैश्रसिक कहते हैं।

इस तरह सात कर्णेंद्रिय के विषय हैं!

किस जीव की कितनी इन्द्रियाँ होती है

जीव                       इन्द्रियाँ

एकेन्द्रिय                 स्पर्शन।

दोइन्द्रीय                 स्पर्शन, रसना।

तीन इन्द्रिय              स्पर्शन, रसना, घ्राण।

चार इन्द्रिय              स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु।

पंचेन्द्रिय                  स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण।

इंद्रियां कहाँ बनी है शरीर पर

और मैं कौन हूँ आत्मा

यानि शरीर से पूरी तरह भिन्न

तो जब इंद्रिया ही मेरी नहीं तो इंद्रिय ज्ञान मेरा कैसे हुआ

पर ज्ञान तो मुझमें है, तो मेरा ज्ञान कैसा है अतीन्द्रिय यानि इन्द्रियों के बिना भी मेरा ज्ञान काम करता है।

आत्मा का हित तो आत्मा के जानने में है।

आत्मा को न जानने से इन्द्रिय ज्ञान कुछ भी नही है।


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