भजन- अक्षय तृतीया पर्व है आया, आहार दान का,,,,,
लय- थोड़ा सा प्यार हुआ है,,,,,
स्वर- सुप्रिया जैन
शब्द संयोजन- सुप्रिया जैन
🌹अक्षय तृतीया का पावन पर्व🌹
अक्षय तृतीया पर्व है आया, आहार दान का,,,
कितने महीने बाद मुनि ने, आहार दान है पाया,,,
🌸 *दृश्य-1 संसार से वैराग्य की ओर*
*ऋषभ* जी भोग रहे थे, अपनी संसार अवस्था,,
तभी दरबार मे आयी, नृत्यकारी *नीलांजना*
नृत्य करते करते जब, नीलांजना मूर्छित हो गई
*वैराग्य* आया ऋषभ को, देखकर दृश्य ये सारा
छोड़कर राज्य ये सारा,,,,,,होSss 2
चले ऋषभ वन की तरफ को,,,,,,,,
*अक्षय तृतीया* पर्व है आया, आहार दान का,,,
कितने महीने बाद मुनि ने, आहार दान है पाया,,,
🌸 *दृश्य-2* *तप से उपवास और उपवास से आहार की ओर*
मुनि जब वन को पहुँचे, लिया उपवास जिन्होंने,,,
*छः महीने तप* लीन हुए फिर, उठे *विधि आहार* सीखाने,,
विधि को जब लेकर प्रभुवर, निकले *हस्तिनापुर* नगर में,,
*सात महीने तेरह दिन* बीते, मगर कोई बिधि न जाने
*राजा श्रेयांश* को जब, याद पिछला भव आया
याद आया उन्हें जब, आहार देने का तरीका,,,
हुआ पड़गाहन मुनि का,,,,,, होssss 2
और *इक्छु रस* मुनि ने पाया,,,,,
*अक्षय तृतीया* पर्व है आया, आहार दान का,,,
कितने महीने बाद मुनि ने, आहार दान है पाया,,,
Superb
ReplyDeleteExcellent 👌👌👌, literally like your work...
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