कषाय
जो आत्मा को कर्मों से कसे अर्थात
दुःख दे।
4 = क्रोध, मान, माया, लोभ
16 = अनंतानुबंधी, अप्रत्याख्यानावरण , प्रत्याख्यानावरण , संज्वलन (४*४)
25 = 16 कषाय + 9 नोकषाय
अनंतानुबंधी- जो मिथ्यात्व के साथ रहे , मोक्ष मार्ग शुरु न होने दें।
अप्रत्याख्यानावरण- किंचित त्याग न होने दें।
प्रत्याख्यानावरण- पूर्ण त्याग न होने दें।
संज्वलन- पूर्ण वीतरागी न होने दें।
कषाय की अवधि व उदाहरण
अनंतानुबंधी- 6 माह से अधिक
उदाहरण- पत्थर की रेखा
अप्रत्याख्यानावरण- 15 दिन से अधिक
उदाहरण- पृथ्वी की रेखा
प्रत्याख्यानावरण- अंतर्मूहूर्त से अधिक
उदाहरण- धूली की रेखा
संज्वलन-
उदाहरण- जल रेखा
नोकषाय
हास्य, रति , अरति , शोक , भय , जुगुप्सा , स्त्री वेद , पुरुष वेद , नपुंसक वेद
कषाय क्यों होती है?
🔷 जब हम ऐसा मानते हैं कि इसने मेरा बुरा किया तो क्रोध होता है।
🔶 जब हम ये मानते हैं कि दुनियां की वस्तुएं मेरी है, मैं इनका स्वामी हूं तो मान होता है।
🔴 जब हम ये मानते हैं कि छल-कपट से मेरा काम सिद्ध होगा तो माया करते हैं।
🔵 किसी वस्तु को देख प्राप्ति की इच्छा होती है तो लोभ करते हैं।
🤬 कषाय मिटाने का
उपाय क्या हैं?
तत्व ज्ञान के अभ्यास से पदार्थ न तो अनुकूल मालूम हों न प्रतिकूल।
Bahut sundar 👌👌👌👌🌹🌹
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